HAPPY DIWALI 2019
दिवाली 2019 तिथि (Diwali 2019 Tithi )
27 अक्टूबर 2019
दिवाली 2019 शुभ मुहूर्त / दिवाली पूजन मुहूर्त 2019 (Diwali 2019 Subh Mahurat / Diwali Pujan Muhurat 2019)
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – शाम 7 बजकर 15 मिनट से 8 बजकर 36 मिनट तक
प्रदोश काल- शाम 6 बजकर 4 मिनट से 8 बजकर 36 मिनट तक
वृषभ काल- शाम 7 बजकर 15 मिनट से 9 बजकर15 मिनट तक
दिवाली 2019 चौघड़िया / लक्ष्मी पूजा चौघड़िया 2019
दोपहर शुभ पूजा मुहूर्त- 1 बजकर 48 से 3 बजकर 13 मिनट तक
शाम शुभ, अमृत, चार पूजा मुहूर्त – शाम 6 बजकर 04 मिनट से 10 बजकर 48 तक
दिवाली का महत्व (Diwali Ka Mahatva)
शास्त्रों के अनुसार त्रेतायुग में जब भगवान राम रावण का वध करके अयोध्या लोटे तो अयोध्यावासियों ने उनका स्वागत दीप जलाकर किया था। इसी कारण प्रतिवर्ष दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन लोग भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं और घर के आगे रंगोली बनाते हैं और दीप जलाकर मां लक्ष्मी का स्वागत करते हैं ।
दिवाली के दिन लोग खील और बतासे का प्रसाद एक-दूसरे को बांटते है और पटाखे आदि जलाते हैं। लोगों के लिए दिवाली के त्योहार का विशेष महत्व है। दिवाली का दिन मां लक्ष्मी के आगमन का प्रमुख दिन माना जाता है। इस दिन लोग अपने घर और दफ्तरों को दीपक जलाकर सजाते हैं।
लोग दिवाली के दिन अपने घर की साफ- सफाई करते हैं । घर को सजाते हैं। मां लक्ष्मी के आगमन की कई प्रकार से तैयारी की जाती है। दिवाली के दिन पैसों , गहनों और बहीखातों की पूजा का विधान है।
माना जाता है ऐसा करने से मां लक्ष्मी का उनके घर पर वास होगा और उनके घर पैसों की कभी कोई कमीं नहीं होगी। इतना ही नहीं इसके साथ ही घर में रिद्धि -सिद्धि के वास के लिए भी यह काम किया जाता है।
27 अक्टूबर 2019
दिवाली 2019 शुभ मुहूर्त / दिवाली पूजन मुहूर्त 2019 (Diwali 2019 Subh Mahurat / Diwali Pujan Muhurat 2019)
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – शाम 7 बजकर 15 मिनट से 8 बजकर 36 मिनट तक
प्रदोश काल- शाम 6 बजकर 4 मिनट से 8 बजकर 36 मिनट तक
वृषभ काल- शाम 7 बजकर 15 मिनट से 9 बजकर15 मिनट तक
दिवाली 2019 चौघड़िया / लक्ष्मी पूजा चौघड़िया 2019
दोपहर शुभ पूजा मुहूर्त- 1 बजकर 48 से 3 बजकर 13 मिनट तक
शाम शुभ, अमृत, चार पूजा मुहूर्त – शाम 6 बजकर 04 मिनट से 10 बजकर 48 तक
दिवाली का महत्व (Diwali Ka Mahatva)
शास्त्रों के अनुसार त्रेतायुग में जब भगवान राम रावण का वध करके अयोध्या लोटे तो अयोध्यावासियों ने उनका स्वागत दीप जलाकर किया था। इसी कारण प्रतिवर्ष दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन लोग भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं और घर के आगे रंगोली बनाते हैं और दीप जलाकर मां लक्ष्मी का स्वागत करते हैं ।
दिवाली के दिन लोग खील और बतासे का प्रसाद एक-दूसरे को बांटते है और पटाखे आदि जलाते हैं। लोगों के लिए दिवाली के त्योहार का विशेष महत्व है। दिवाली का दिन मां लक्ष्मी के आगमन का प्रमुख दिन माना जाता है। इस दिन लोग अपने घर और दफ्तरों को दीपक जलाकर सजाते हैं।
लोग दिवाली के दिन अपने घर की साफ- सफाई करते हैं । घर को सजाते हैं। मां लक्ष्मी के आगमन की कई प्रकार से तैयारी की जाती है। दिवाली के दिन पैसों , गहनों और बहीखातों की पूजा का विधान है।
माना जाता है ऐसा करने से मां लक्ष्मी का उनके घर पर वास होगा और उनके घर पैसों की कभी कोई कमीं नहीं होगी। इतना ही नहीं इसके साथ ही घर में रिद्धि -सिद्धि के वास के लिए भी यह काम किया जाता है।
दिवाली की पूजा विधि (Diwali Ki Puja Vidhi)
- दिवाली के दिन भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है। दिवाली की शाम को एक चौकी बिछांए।
- इसके बाद गंगाजल डालकर चौकी को साफ करें। इसके बाद भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित करें।
- पूजा स्थल पर एक जल से भरा कलश रखें। उस कलश पर रोली से सतिया बना लें और मोली से 5 गाँठ बाँध दें।
- उस पर आम के पत्ते बांधें इसके बाद पूजा स्थल पर पंच मेवा, गुड़ फूल , मिठाई,घी , कमल का फूल ,खील बातसें आदि भगवान गणेश और मां लक्ष्मी के आगे रखें।
- भगवान गणेश और मां लक्ष्मी के आग घी और तेल के दीपक जलाएं।
- विधिवत गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा करें साथ ही कुबेर जी करें । दिवाली के दिन श्री सूक्त और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें।
- दिवाली के दिन लोग आपने गहनों ,पैसों और बहीखातों की भी पूजा करते हैं। माना जाता है ऐसा करने से मां लक्ष्मी का घर में वास होता है और धन की कभी भी कोई कमीं नही रहती।
दिवाली की कथा (Diwali Ki Katha)
एक गांव में एक साहूकार था, उसकी बेटी प्रतिदिन पीपल पर जल चढाने जाती थी. जिस पीपल के पेड पर वह जल चढाती थी, उस पेड पर लक्ष्मी जी का वास था। एक दिन लक्ष्मी जी ने साहूकार की बेटी से कहा मैं तुम्हारी मित्र बनना चाहती हूँ. लडकी ने कहा की मैं अपने पिता से पूछ कर आऊंगा।
यह बात उसने अपने पिता को बताई, तो पिता ने हां कर दी। दूसर दिन से साहूकार की बेटी ने सहेली बनना स्वीकार कर लिया। दोनों अच्छे मित्रों की तरह आपस में बातचीत करने लगी। इक दिन लक्ष्मीजी साहूकार की बेटी को अपने घर ले गई। अपने घर में लक्ष्मी जी उसका दिल खोल कर स्वागत किया. उसकी खूब खातिर की.।उसे अनेक प्रकार के भोजन परोसे।
मेहमान नवाजी के बाद जब साहूकार की बेटी लौटने लगी तो, लक्ष्मी जी ने प्रश्न किया कि अब तुम मुझे कब अपने घर बुलाओगी। साहूकार की बेटी ने लक्ष्मी जी को अपने घर बुला तो लिया, परन्तु अपने घर की आर्थिक स्थिति देख कर वह उदास हो गई. उसे डर लग रहा था कि क्या वह, लक्ष्मी जी का अच्छे से स्वागत कर पायेगी।
साहूकार ने अपनी बेटी को उदास देखा तो वह समझ गया, उसने अपनी बेटी को समझाया, कि तू फौरन मिट्टी से चौका लगा कर साफ -सफाई कर। चार बत्ती के मुख वाला दिया जला, और लक्ष्मी जी का नाम लेकर बैठ जा। उसी समय एक चील किसी रानी का नौलखा हार लेकर उसके पास डाल गई।
साहूकार की बेटी ने उस हर को बेचकर सोने की चौकी, था, और भोजन की तैयारी की।थोडी देर में श्री गणेश के साथ लक्ष्मी जी उसके घर आ गई।साहूकार की बेटी ने दोनों की खूब सेवा की, उसकी खातिर से लक्ष्मी जी बहुत प्रसन्न हुई और साहूकार बहुत अमीर बन गया।
दीवाली क्यों कही जाती है सिद्धि की रात्रि (Diwali Kyu Kahi Jati Hai Sidhi Ki Ratri)
दीवाली कार्तिक मास की अमावस्या की रात को पड़ती है। शास्त्रों के अनुसार कुछ रात्रियां ऐसी होती हैं। जिन पर आप साधना करके सिद्धियां प्राप्त कर सकते हैं।दीवाली की रात को तंत्र मंत्र की रात भी इसलिए ही माना जाता है। यह रात्रि तंत्रिकों के लिए भी विशेष मानी जाती है। अमावस्या होने के कारण ही इस रात पर लोग अपने ईष्ट की आराधना करते हैं। दीवाली की रात को मंत्र सिद्धि के लिए भी विशेष मानी जाती है। अगर कोई भी किसी प्रकार के मंत्र को सिद्ध करना चाहता हैं तो वह दीवाली की रात में उस मंत्र का सिद्ध कर सकता है।