🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
*रिश्तों की रस्सी कमजोर तब*
*हो जाती है ,.....*
*जब इंसान गलत फहमी में*
*पैदा होने वाले......*
*सवालों के जबाब भी खुद*
*ही बना लेता है.....!*
*हर इंसान दिल का बुरा*
*नहीं होता ...... ,*
*बुझ जाता है दीपक अक्सर*
*तेल की कमी के कारण...,*
*हर बार कसूर हवा का नहीं*
*होता.......!!*
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
☘🌺🌴🍁🌱🌷🌿🌹♦🌿🌸🥀🍂
*मोतियों की आदत है*
*बिखर जाने की*
*ये तो बस धागे की ज़िद है कि,*
*सबको पिरोये रखना है*
*माला की तारीफ तो सभी करते हैं क्योंकि मोती सबको दिखाई देता है।*
*काबिले तारीफ़ तो धागा हैं जनाब*
*जिसने सबको जोड़ के रखा है ...।*
🙏🙏🌸🌸🌸🙏🙏
*जिनके पास अपने हैं*,
*वो अपनों से झगड़ते हैं*...
*जिनका कोई नहीं अपना*,🍁
*वो अपनों को तरसते हैं*..।
*कल न हम होंगे न गिला होगा।*
*सिर्फ सिमटी हुई यादों का सिललिसा होगा।*🍁
*जो लम्हे हैं चलो हंसकर बिता लें।*
*जाने कल जिंदगी का क्या फैसला होगा।*
☘🍁🌾☘🍁🌾☘🍁🌾☘🍁
*मिलो किसी से ऐसे कि*
*ज़िन्दगी भर की*
*पहचान बन जाये,*
*पड़े कदम जमीं पर ऐसे कि*
*लोगों के दिल पर*
*निशान बन जाये..*
*जीने को तो ज़िन्दगी*
*यहां हर कोई जी लेता है,*
*लेकिन.....*
*जीयो ज़िन्दगी ऐसे कि*
*औरों के लब की मुस्कान*
*बन जाये ...🖊*
*चूहा अगर पत्थर का हो तो*
*सब उसे पूजते हैं*
¶
*मगर जिन्दा हो तो मारे बिना*
*चैन नहीं लेते हैं*
¶
*साँप अगर पत्थर का हो*
*तो सब उसे पूजते हैं*
¶
*मगर जिन्दा हो तो उसी वक़्त*
*मार देते हैं*
¶
*माँ बाप अगर "तस्वीरों" में हो*
*तो सब पूजते हैं*
¶
*मगर जिन्दा है तो कीमत नहीं*
*समझते"*
¶
*बस यही समझ नहीं आता के*
*ज़िन्दगी से इतनी नफरत क्यों*
¶
*और*
¶
*पत्थरों से इतनी मोहब्बत क्यों*
¶
*जिस तरह लोग मुर्दे इंसान को*
*कंधा देना पुण्य समझते हैं*
¶
*काश" इस तरह' ज़िन्दा" इंसान*
*को सहारा देंना पुण्य समझने*
*लगे तो ज़िन्दगी आसान हो*
*जायेगी*
¶
*एक बार जरूर सोचिए*
¶
*रिश्तों की रस्सी कमजोर तब*
*हो जाती है ,.....*
*जब इंसान गलत फहमी में*
*पैदा होने वाले......*
*सवालों के जबाब भी खुद*
*ही बना लेता है.....!*
*हर इंसान दिल का बुरा*
*नहीं होता ...... ,*
*बुझ जाता है दीपक अक्सर*
*तेल की कमी के कारण...,*
*हर बार कसूर हवा का नहीं*
*होता.......!!*
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☘🌺🌴🍁🌱🌷🌿🌹♦🌿🌸🥀🍂
*मोतियों की आदत है*
*बिखर जाने की*
*ये तो बस धागे की ज़िद है कि,*
*सबको पिरोये रखना है*
*माला की तारीफ तो सभी करते हैं क्योंकि मोती सबको दिखाई देता है।*
*काबिले तारीफ़ तो धागा हैं जनाब*
*जिसने सबको जोड़ के रखा है ...।*
🙏🙏🌸🌸🌸🙏🙏
*जिनके पास अपने हैं*,
*वो अपनों से झगड़ते हैं*...
*जिनका कोई नहीं अपना*,🍁
*वो अपनों को तरसते हैं*..।
*कल न हम होंगे न गिला होगा।*
*सिर्फ सिमटी हुई यादों का सिललिसा होगा।*🍁
*जो लम्हे हैं चलो हंसकर बिता लें।*
*जाने कल जिंदगी का क्या फैसला होगा।*
☘🍁🌾☘🍁🌾☘🍁🌾☘🍁
*मिलो किसी से ऐसे कि*
*ज़िन्दगी भर की*
*पहचान बन जाये,*
*पड़े कदम जमीं पर ऐसे कि*
*लोगों के दिल पर*
*निशान बन जाये..*
*जीने को तो ज़िन्दगी*
*यहां हर कोई जी लेता है,*
*लेकिन.....*
*जीयो ज़िन्दगी ऐसे कि*
*औरों के लब की मुस्कान*
*बन जाये ...🖊*
*चूहा अगर पत्थर का हो तो*
*सब उसे पूजते हैं*
¶
*मगर जिन्दा हो तो मारे बिना*
*चैन नहीं लेते हैं*
¶
*साँप अगर पत्थर का हो*
*तो सब उसे पूजते हैं*
¶
*मगर जिन्दा हो तो उसी वक़्त*
*मार देते हैं*
¶
*माँ बाप अगर "तस्वीरों" में हो*
*तो सब पूजते हैं*
¶
*मगर जिन्दा है तो कीमत नहीं*
*समझते"*
¶
*बस यही समझ नहीं आता के*
*ज़िन्दगी से इतनी नफरत क्यों*
¶
*और*
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*पत्थरों से इतनी मोहब्बत क्यों*
¶
*जिस तरह लोग मुर्दे इंसान को*
*कंधा देना पुण्य समझते हैं*
¶
*काश" इस तरह' ज़िन्दा" इंसान*
*को सहारा देंना पुण्य समझने*
*लगे तो ज़िन्दगी आसान हो*
*जायेगी*
¶
*एक बार जरूर सोचिए*
¶
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