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कुण्डलिनी-----काली और दुर्गा
यदि जागृत कुण्डलिनी को नियंत्रित न किया जा सके तो उसे काली कहते है। किन्तु यदि उसे नियंत्रित करके अर्थ पूर्ण बनायाजा सके तो यही शक्ति दुर्गा कही जाती है।
काली नग्न है एंव काले या धूम्र रंग की एक देवी है जो १०८ मानव खोपडियो की माला पहने हुए है तथा जिन्हें विभिन्न जन्मो का प्रतीक मानते है काली की लपलपाती हई लाल जीभ रजोगुण का प्रतीक है व इसका गोलाकार घूमना रचनात्मक गतिविधि का संकेत है इस प्रकार विशेषं प्रतीको के द्वारा देवी साधकों को संकेत देती है कि वे रजोगुण को नियंत्रित रखे बाये हाथ में धारण की हुई बलि की तलवार और नरमुण्ड सृष्टि के विनाश के सुचक है अधंकार और मृत्यू का अर्थ प्रकाश और जीवन की अनुपस्थिति कतई नही है वरन वे ही इनके मूल है पुरूष स्थिर है और वह शक्ति तत्व सो क्रियाशील होता है अतः साधक ब्रह्माण्डीय शक्ति की उपासना स्त्री रुप मे करते है क्योकि यह पक्ष गतिशीलता का प्रतिनिधित्व करता है।
पुराणो मे काली शक्ति के जागरण का विवरण विस्तार से पाया जाता है जब काली जागृत होकर क्रोध से लाल हो जाती है तो सभी देवता दानव चकित और शांन्त हो जाते है वे यह भी नही जानते कि देवी क्या करने जा रही है वे भगवान शिव से उसे शांत करने की प्रार्थना करते है किन्तु रक्त और मांस की प्यासी काली क्रोध मे दहाडती हुई भगवान शिव की छाती पर मुहँ खोलकर खडी हो जाती है जब देवता उसे शांत करने की स्तुति आदि करते है तब जाकर कही उनका क्रोध शांत होता है।
इसके बाद उच्च, अधिक सौम्य तथा अचेतन की प्रतीी दुर्गा शक्ति प्रकट होती है दुर्गा सिहँ पर सवार एक सुन्दर देवी है उसकी आठ भूजाएँ है जो आठ तत्वो का प्रतीक है दुर्गा नरमुण्डो की माला धारण करती है जो उसकी शक्ति और बुद्धिमता की प्रतीक है सामान्यतया ये नरमुण्ड संख्या मे ,५२ होते है ये संस्कृत वर्णमाला के उन ५२अक्षरोंका प्रतिनिधित्व करते है जो कि नाद के रूप मे शब्द ब्रह्म की बाह्य अभिव्याक्तियां है दुर्गा जीवन की सभी प्रतिकूल परिस्थितियों से छुटकारा दिलाने वाली एवं मूलाधार से मुक्त होने वाली शक्ति और शान्ति की दात्री मानी जाती है।
यौगिक दर्शन के अनुसार अचेतन कुण्डलिनी का प्रथम स्वरूप काली एक विकराल शक्ति है जिसका शिव के उपर खडे होना उसके द्वारा आत्मा पर संपूर्ण को व्यक्त करता है कुछ लोग कभी कभी मानसिकता अस्थिरता के कारण अपने अचेतन शरीर के सम्पर्क मे आ जाते है जिसके फलस्वरूप उन्हे अशुभ और भयानक भूत पिशाच दिखाई पडने लगते है जब मनुष्य की अचेतन शक्ति अर्थात काली का जागरण होता है तो यह ऊध्र्व गमन के बाद उच्च चेतना दुर्गा जो आन्नदप्रदायनी है का रूप धारण कर लेती है
अ•,वशिष्ट
कुण्डलिनी-----काली और दुर्गा
यदि जागृत कुण्डलिनी को नियंत्रित न किया जा सके तो उसे काली कहते है। किन्तु यदि उसे नियंत्रित करके अर्थ पूर्ण बनायाजा सके तो यही शक्ति दुर्गा कही जाती है।
काली नग्न है एंव काले या धूम्र रंग की एक देवी है जो १०८ मानव खोपडियो की माला पहने हुए है तथा जिन्हें विभिन्न जन्मो का प्रतीक मानते है काली की लपलपाती हई लाल जीभ रजोगुण का प्रतीक है व इसका गोलाकार घूमना रचनात्मक गतिविधि का संकेत है इस प्रकार विशेषं प्रतीको के द्वारा देवी साधकों को संकेत देती है कि वे रजोगुण को नियंत्रित रखे बाये हाथ में धारण की हुई बलि की तलवार और नरमुण्ड सृष्टि के विनाश के सुचक है अधंकार और मृत्यू का अर्थ प्रकाश और जीवन की अनुपस्थिति कतई नही है वरन वे ही इनके मूल है पुरूष स्थिर है और वह शक्ति तत्व सो क्रियाशील होता है अतः साधक ब्रह्माण्डीय शक्ति की उपासना स्त्री रुप मे करते है क्योकि यह पक्ष गतिशीलता का प्रतिनिधित्व करता है।
पुराणो मे काली शक्ति के जागरण का विवरण विस्तार से पाया जाता है जब काली जागृत होकर क्रोध से लाल हो जाती है तो सभी देवता दानव चकित और शांन्त हो जाते है वे यह भी नही जानते कि देवी क्या करने जा रही है वे भगवान शिव से उसे शांत करने की प्रार्थना करते है किन्तु रक्त और मांस की प्यासी काली क्रोध मे दहाडती हुई भगवान शिव की छाती पर मुहँ खोलकर खडी हो जाती है जब देवता उसे शांत करने की स्तुति आदि करते है तब जाकर कही उनका क्रोध शांत होता है।
इसके बाद उच्च, अधिक सौम्य तथा अचेतन की प्रतीी दुर्गा शक्ति प्रकट होती है दुर्गा सिहँ पर सवार एक सुन्दर देवी है उसकी आठ भूजाएँ है जो आठ तत्वो का प्रतीक है दुर्गा नरमुण्डो की माला धारण करती है जो उसकी शक्ति और बुद्धिमता की प्रतीक है सामान्यतया ये नरमुण्ड संख्या मे ,५२ होते है ये संस्कृत वर्णमाला के उन ५२अक्षरोंका प्रतिनिधित्व करते है जो कि नाद के रूप मे शब्द ब्रह्म की बाह्य अभिव्याक्तियां है दुर्गा जीवन की सभी प्रतिकूल परिस्थितियों से छुटकारा दिलाने वाली एवं मूलाधार से मुक्त होने वाली शक्ति और शान्ति की दात्री मानी जाती है।
यौगिक दर्शन के अनुसार अचेतन कुण्डलिनी का प्रथम स्वरूप काली एक विकराल शक्ति है जिसका शिव के उपर खडे होना उसके द्वारा आत्मा पर संपूर्ण को व्यक्त करता है कुछ लोग कभी कभी मानसिकता अस्थिरता के कारण अपने अचेतन शरीर के सम्पर्क मे आ जाते है जिसके फलस्वरूप उन्हे अशुभ और भयानक भूत पिशाच दिखाई पडने लगते है जब मनुष्य की अचेतन शक्ति अर्थात काली का जागरण होता है तो यह ऊध्र्व गमन के बाद उच्च चेतना दुर्गा जो आन्नदप्रदायनी है का रूप धारण कर लेती है
अ•,वशिष्ट
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