लिंगाष्टकम:
देवताओं ने भी की थी इस स्तोत्र से शिव की स्तुति, फिर मिला था अमरता का वरदान,!!!!!!!!
लिंगाष्टकम स्तोत्र भगवान शिव को खुश करने का सबसे आसन तरीका है। लिंगाष्टक स्तोत्र के विषय में शास्त्रों के ऐसा वर्णन मिलता है कि जो मनुष्य इसका श्रवण करता है उसे हर मुश्किल में भी सबकुछ आसान लगता है।
भगवान भोलेनाथ की इस स्तुति में कुल आठ श्लोक हैं। इस अष्टपदी श्लोक के माध्यम से व्यक्ति भगवान शिव की आराधना पर मनचाहा वरदान का आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है।
कहते हैं कि सावन जो कोई लिंगाष्टकम स्तोत्र का केवल श्रवण मात्र करता है उसके सारे कष्ट क्षण मात्र में नष्ट हो जाते हैं। इतना ही नहीं इस स्तोत्र की महिमा तीनों लोकों में व्याप्त है।
लिंगाष्टकम स्त्रोत भावार्थ सहित!
ब्रह्ममुरारिसुर ार्चित लिगं निर्मलभाषितशोभि त लिंग |
जन्मजदुःखविनाशक लिंग तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं॥१
जन्मजदुःखविनाशक
मैं उन सदाशिव लिंग को प्रणाम करता हूँ जिनकी ब्रह्मा, विष्णु एवं देवताओं द्वारा अर्चना की जाति है, जो सदैव निर्मल भाषाओं द्वारा पुजित हैं तथा जो लिंग जन्म-मृत्यू के चक्र का विनाश करता है (मोक्ष प्रदान करता है)
देवमुनिप्रवरार् चित लिंगं, कामदहं करुणाकर लिंगं|
रावणदर्पविनाशन लिंगं तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं॥२
रावणदर्पविनाशन लिंगं तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं॥२
देवताओं और मुनियों द्वारा पुजित लिंग, जो काम का दमन करता है तथा करूणामयं शिव का स्वरूप है, जिसने रावण के अभिमान का भी नाश किया, उन सदाशिव लिंग को मैं प्रणाम करता हूँ।
सर्वसुगंन्धिसुल ेपित लिंगं, बुद्धिविवर्धनका रण लिंगं|
सिद्धसुरासुरवन् दित लिंगं, तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं॥३
सिद्धसुरासुरवन्
सभी प्रकार के सुगंधित पदार्थों द्वारा सुलेपित लिंग, जो कि बुद्धि का विकास करने वाल है तथा, सिद्ध- सुर (देवताओं) एवं असुरों सबों के लिए वन्दित है, उन सदाशिव लिंक को प्रणाम।
कनकमहामणिभूषित लिंगं, फणिपतिवेष्टितशो भित लिंगं|
दक्षसुयज्ञविनाश न लिंगं, तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं॥४
दक्षसुयज्ञविनाश
स्वर्ण एवं महामणियों से विभूषित, एवं सर्पों के स्वामी से शोभित सदाशिव लिंग जो कि दक्ष के यज्ञ का विनाश करने वाल है ; आपको प्रणाम।
कुंकुमचंदनलेपित लिंगं, पंङ्कजहारसुशोभि त लिंगं|
संञ्चितपापविनाश िन लिंगं, तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं॥५
संञ्चितपापविनाश
कुंकुम एवं चन्दन से शोभायमान, कमल हार से शोभायमान सदाशिव लिंग जो कि सारे संञ्चित पापों से मुक्ति प्रदान करने वाला है, उन सदाशिव लिंग को प्रणाम ।
देवगणार्चितसेवि त लिंग, भवैर्भक्तिभिरेव च लिंगं|
दिनकरकोटिप्रभाक र लिंगं, तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं॥६
दिनकरकोटिप्रभाक
आप सदाशिव लिंग को प्रणाम जो कि सभी देवों एवं गणों द्वारा शुद्ध विचार एवं भावों द्वारा पुजित है तथा जो करोडों सूर्य सामान प्रकाशित हैं।
अष्टदलोपरिवेष्ट ित लिंगं, सर्वसमुद्भवकारण लिंगं|
अष्टदरिद्रविनाश ित लिंगं, तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं॥७
अष्टदरिद्रविनाश
आठों दलों में मान्य, एवं आठों प्रकार के दरिद्रता का नाश करने वाले सदाशिव लिंग सभी प्रकार के सृजन के परम कारण हैं – आप सदाशिव लिंग को प्रणाम।
सुरगुरूसुरवरपूज ित लिंगं, सुरवनपुष्पसदार् चित लिंगं|
परात्परं परमात्मक लिंगं, ततप्रणमामि सदाशिव लिंगं||
परात्परं परमात्मक लिंगं, ततप्रणमामि सदाशिव लिंगं||
दवताओं एवं देव गुरू द्वारा स्वर्ग के वाटिका के पुष्पों से पुजित परमात्मा स्वरूप जो कि सभी व्याख्याओं से परे है – उन सदाशिव लिंग को प्रणाम।
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