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बुधवार, 10 मई 2017

भारत का सबसे खतरनाक खुफिया हथियार

भारत का सबसे खतरनाक खुफिया हथियार जिसके बारे में कोई नहीं जानता

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NEW DELHI: INDIA का TOP SECRET WEAPON काली है, जिसका नाम सुनते ही PAK के होश उड़ जाते हैं। इससे पहले कि हम आपको ये बताएं कि PAKISTAN इससे क्यों घबराता है, आइए इससे जुड़ी कुछ बातें जान लेते हैं।

 ये बिना परछाई वाला हथियार टॉप सीक्रेट वेपन काली दुश्मन के इलाके में दबे पांव ऐसे घुसता है कि उसको न तो दुनिया का कोई रडार ही पकड़ पाता है और न ही कोई इसके कदमों की आहट सुन पाता है। दुश्मन के इलाके में तबाही मचाने के बाद यह वहां अपनी मौजूदगी के सबूत तक नहीं छोड़ता है।

भारत का अदृश्य तरंगों वाला यह ब्रह्मास्त्र टॉप सीक्रेट वेपन काली कितना खतरनाक और महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने राष्ट्रहित का हवाला देकर लोकसभा तक में इससे संबंधित कुछ भी जानकारी देने से साफ इनंकार कर दिया है।

भारत से ज्यादा काली की चर्चा पाकिस्तान में होती है, क्योंकि जब यह अपना रौद्र रूप घारण करता है तो वह जगदंबा काली से कम संहारक नहीं होता। आपको शायद ही मालूम हो कि 5 अप्रैल 2012 में पाकिस्तान के कब्जे वाले सियाचिन के ग्यारी सेक्टर में भयानक बर्फानी तुफान आया था और वहां एक ग्लेशियर का बड़ा हिस्सा गिर गया था, जिसमें पाकिस्तान आर्मी का बेस कैंप पूरी तरह तबाह हो गया था और उसके करीब 140 सैनिक भी मारे गए थे।

पाकिस्तान के रक्षा वैज्ञानिकों का दावा है कि इतना बड़ा पहाड़ तब तक नहीं गिर सकता था जब तक कि उसको काटा न जाए. उनका शक भारत पर है कि उसने अपने काली वेपन के जरिए इसको काटकर गिराया है.

इसको आम जुबान में इस प्रकार समझा जा सकता है जिस प्रकार स्कूल के दिनों में बच्चे मैग्नीफाइंग ग्लास के जरिए सूर्य की किरणों से दूर बैठकर कागज के टुकड़े को आग से जला देते थे। काली भी कुछ इसी प्रकार काम करता है।

यही कारण है कि उरी हमले के बाद अब पाक को डर सता रहा है कि कहीं भारत इस बार भी इस गोपनीय अस्त्र से ऑपरेशन वाइटवॉश की पुनरावृति न कर दे। बताया जाता है कि उस वक्त एअरक्राफट से काली के जरिए ग्लेशियर पर बीम डालकर 300 किमी प्रति घंटे का तूफान पैदा किया गया था। जबकि पाकिस्तानी सेना का दावा है कि पूरा ग्लेशियर एकाएक पिघल कर नीचे आ गिरा,  जो आमतौर पर नहीं होता है।

बहराल, टॉप सीक्रेट वेपन काली हवाई जहाज और मिसाईल के इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रिक सर्किट और चिपों को इलेक्ट्रॉन माईक्रोवेव तरंगों के शक्तिशाली प्रहार से फेल कर सेकंडों में गिरा सकता है। यही नहीं, इसकी बीम के जरिए यूएवी और सेटेलाइट को भी गिराया जा सकता है।

भारत गोपनीय तरीके से वर्ष 1989 से टॉप सीक्रेट वेपन काली मिशन पर अनुसंधान कर रहा है। वर्ष 1985 में भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर (बार्क) के डायरेक्टर डॉ. आर. चिदंबरम ने इसकी योजना बनाई थी. डीआरडीओ इस मिशन में बार्क के साथ मिलकर काम कर रहा है।

इस सीक्रेट योजना के तहत जिस सीक्रेट वेपन को बनाने की कोशिश की जा रही है, उसका नाम है काली (किलो एंपीयर लीनियर इंजेक्टर). काली एसीलिरेटर इलेक्ट्रान की ऊर्जा को इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन में बदल कर हाई एनर्जी वाली तरंगों में बदल देता है।

हम आपको बता दें कि यह TOP SECRET WEAPON काली लेजर गन नहीं है जैसा कि लोगों को भ्रम है। यह हाई पावर माइक्रोवेव गन है, जो 200 गीगावाट ऊर्जा पैदा कर सकती है। इसके कुछ प्रोटोटाइप तैयार भी किए जा चुके हैं, लेकिन पूरी हथियार प्रणाली का विकास अभी भी जारी है। 

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