पृथ्वी से 30 लाख गुना विशाल है ब्लैक होल एम87
जयपुर. ब्लैक होल, जिसका नाम सुनते ही सभी विज्ञान प्रेमियों के जहन में कुछ नया जानने कि जिज्ञासा उत्पन हो जाती हैं। क्योंकि इस बात से सब वाकिफ है कि अंतरिक्ष में घटने वाली सभी घटनाऐं और उनसे जुड़़ी खोजें हमें सदा ही चौंकाती रही हैं। ऐसी ही एक खोज ब्लैक होल एम87 को लेकर है जिसका आकार पृथ्वी कि तुलना में 30 लाख गुना ज्यादा विशाल है और गैलैक्सी में ये तकरीबन 4000 करोड़ क्षेत्र में फैला हुआ हैं।
इससे सम्बंधित जानकारी हॉरिज़न नामक टेलिस्कोप से ली गई है जो कि आठ टेलिस्कोप का बना एक नेटवर्क है. इस अनुसंधान से जुड़े वैज्ञानिक प्रोफ़ेसर हेनियो फ़ैल्के ने ब्लैक होल एम87 के बारे में खुलासा किया हैं। जानकारी के मुताबिक ये हमारे सौरमंडल से भी ज्यादा विशाल है और भार में सूर्य से 650 करोड़ गुना अधिक वजनी है। वैज्ञानिक हेनियो फ़ैल्के कि माने तो इस ब्लैक होल के चारों ओर आग का फैलाव दिखाई देता है जो कि अत्यधिक तापमान की गैसें है। ये सभी गैसें ब्लैक होल के केन्द्र में जाकर गिरती हैं।
इस ब्लैक होल कि चमक ब्रह्मांड के करोड़ों तारों कि चमक के योग से भी अधिक है। इसी कारणवश इसे विशालकाय ब्रह्मांड में इतनी अधिक प्रकाशवर्षीय दूरी होने के बावजूद भी टेलीस्कोप के द्वारा देखा जा सका.
डॉक्टर ज़िरी यॉन्सी जो कि यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के प्रोफ़ेसर भी है वे भी ईटीएच कोलैबरेशन का अहम हिस्सा रहे हैं. इनके मुताबिक ब्लैक होल अंतरिक्ष और प्रकृति से सम्बंधित कई अनसुलझे सवालों को जन्म देता है। साथ ही साथ ये हमारे अस्तित्व से सकंल्पित प्रशन भी उठाता है। ये लाजवाब तथ्य है कि महान भौतिक वैज्ञानिक आइन्सटाइन ने जैसे ब्लैक होल कि परिकल्पना की थी ये वैसा ही है।
स्पष्टत: अगर हम जानें तो क्या है ब्लैक होल ?
दरअसल ब्लैक होल अंतरिक्ष का एक ऐसा सघन क्षेत्र है जो अपनी ओर आने वाले हर द्रव्य को अपने केन्द्र में समायोजित कर लेता है, यहाँ तक कि स्वंय प्रकाश भी इसके गुरुत्व क्षेत्र से नहीं बच सकता क्योंकि इसके केन्द्र में गुरुत्वाकर्षण बल का मान बहुत अधिक होता हैं। इसके आगे वाले क्षेत्र को अंतरिक्ष में इवेंट होरिज़ोंटल कहा जाता है।
वैज्ञानिक हेनियो फ़ैल्के के दिमाग में ब्लैक होल की तस्वीर लेने का ख्याल तब आया जब वह 1993 में पीएचडी अध्ययनरत छात्र थे. उस समय किसी ने भी ब्लैक होल कि तस्वीर लेने की कल्पना नहीं कि होगी। प्रोफ़ेसर फ़ैल्के ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने सबसे पहले इसका अनुभव किया था।
उनके मुताबिक ऐसा था कि एक प्रकार का रेडियो उत्सर्जन ब्लैक होल के चारों ओर उत्पन्न होगा जो कि इनता अत्यधिक शक्तिशाली होगा जिसे दूरबीन से देखा भी जा सकेगा। इसके साथ ही 1973 में उन्होंने एक पेपर पढ़ा था. जिसके अनुसार ब्लैक होल अपने वास्तविक आकार का 2.5 गुना अधिक बड़ा दिखता है। 20 साल के कठिन परिश्रम के बाद प्रोफ़ेसर फ़ैल्के ने यूरोपीय रिसर्च काउंसिल से इस अनुसंधान लिए फ़ंड पाया।